" “अब कौन आ गया! आ रहा हूँ, आ रहा हूँ, घंटी पर हाथ रख के भूल ही गया क्या...” रजत बड़बड़ाते हुए उठा और दरवाजा खोलने चल दिया। “दरवाजे पर रमोला गुस्से में खड़ी थी।”