"“हा हा हा... तू ऐसे ही बोल-बोलकर मुझे बहलाता रहता है, और सच बताऊँ तो मैं भी तेरी बातें सुनकर खुद को एकदम फिट और यंग महसूस करने लगता हूँ।” रोहित अपने और दादाजी के लिए कॉफी लेकर वहीं बालकनी में आ गया। कॉफी की चुस्कियाँ लेते हुए उसने देखा कि आज भी कामिनी आंटी सामनेवाले पार्क में बेंच पर बैठी हुई हैं। वे कुछ सोच रही हैं। उसे उनकी चिंता होने लगी।