गुरुनानकदेवजीकाजन्म15अप्रैल,1469मेंतलवंडीनामकगांवमेंकार्तिकपूर्णिमाकेदिनहुआ।भारतवर्षमेंगुरुऔरशिष्यकीपरम्पराबहुतप्राचीनहै।गुरुकास्थानपरमेश्वरसेभीऊंचामानाजाताहै।गुरुकेद्वाराहीव्यक्तिकोसांसारिकज्ञानप्राप्तहोताहैऔरगुरुकेद्वाराहीउसेइसज्ञानकाबोधहोताहैकिकिसप्रकारपरमेश्वरकोप्राप्तकियाजासके।गुरुनानकदेवजीनेएकऐसेविकटसमयमेंजन्मलियाथा,जबभारतमेंकोईकेंद्रीयसंगठितशक्तिनहींथी।विदेशीआक्रमणकारीभारतदेशकोलूटनेमेंलगेथे।धर्मकेनामपरअंधविश्वासऔरकर्मकांडचारोंतरफफैलेहुएथे।ऐसेसमयमेंगुरुनानकसिखधर्मकेएकमहानदार्शनिक,विचारकसाबितहुए।गुरुनानकदेवजीनेअपनीसुमधुरसरलवाणीसेजनमानसकेहृदयकोजीतलिया।लोगोंकोबेहदसरलभाषामेंएकओंकारकासन्देशपूरीदुनियाकोसमझायाकिसभीइंसानएकदूसरेकेभाईहै।ईश्वरसबकेपिताहै,फिरएकपिताकीसंतानहोनेकेबावजूदहमऊंच-नीचकैसेहोसकतेहै?इन्हींसभीभ्रांतियोंकोदूरकरनेकेलिएउन्होंनेउपदेशोंकोअपनेजीवनमेंअमलकियाऔरचारोंओरधर्मकाप्रचारकरस्वयंएकआदर्शबने।उन्होंनेसामाजिकसद्भावकीमिसालकायमकीऔरमानवताकासच्चासंदेशदिया।