धर्मरहस्य (Hindi Self-help) by Swami Vivekanand

धर्मरहस्य (Hindi Self-help)

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प्रस्तुत पुस्तक स्वामी विवेकानन्द के धर्म सम्बन्धी प्रसिद्ध व्याख्यानों का संग्रह है। इनमें धर्म के सार्वभौमिक स्वरूप के महत्व को अत्यन्त विशद रीति से पुरस्सर किया गया है तथा समस्त धर्मों के अन्तिम ध्येय - आत्मदर्शनलाभ के उपायों पर भी प्रकाश डाला गया है। स्वामीजी ने धर्म के व्यावहारिक स्वरूप की चर्चा करते हुए यह भी सिद्ध करने की चेष्टा की है कि धर्म द्वारा समाज में नवजीवन का किस प्रकार संचार हो सकता है। उन्होंने बड़े प्रबल तर्कों द्वारा यह आग्रह किया है कि वर्तमान युग में उसी धर्म की आवश्यकता है जो ''मनुष्य'' का निर्माण कर सके।

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