'कर्मयोग' हमें सिखाता है कि जीवन में कर्म करना अपरिहार्य है, लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि हम किस भाव और समझ के साथ कर्म करते हैं। स्वामी विवेकानंद इस पुस्तक में निष्काम कर्म के सिद्धांत पर जोर देते हैं, अर्थात् फल की इच्छा किए बिना कर्तव्य का पालन करना। वे बताते हैं कि स्वार्थ रहित कर्म ही हमें बंधन से मुक्त कर सकता है और आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जा सकता है।
यह पुस्तक विभिन्न उदाहरणों और दृष्टांतों के माध्यम से कर्मयोग के गूढ़ रहस्यों को सरल भाषा में समझाती है। यह हमें सिखाती है कि कैसे हम अपने दैनिक जीवन के साधारण कार्यों को भी योग में परिवर्तित कर सकते हैं, जिससे हमारा जीवन अधिक सार्थक और उद्देश्यपूर्ण बन सके। 'कर्मयोग' उन सभी के लिए एक मार्गदर्शक है जो जीवन में सफलता और शांति प्राप्त करना चाहते हैं और कर्म के सही स्वरूप को समझना चाहते हैं। यह हमें कर्म के माध्यम से ईश्वर तक पहुंचने का मार्ग दिखाती है।