Yuvako! Utho, Jago by Swami Vivekanand

Yuvako! Utho, Jago

By

  • Genre Self-Improvement
  • Publisher Prabhat Prakashan
  • Released
  • Length 84 Pages

Description

स्वामी विवेकानंद केवल संत ही नहीं थे, एक महान् देशभक्त, प्रखर वक्ता, ओजस्वी विचारक, रचनाधर्मी लेखक और करुण मावनप्रेमी भी थे। अमेरिका से लौटकर उन्होंने देशवासियों का आह्वान करते हुए कहा था, “नया भारत निकल पड़े मोची की दुकान से, भड़भूजे के भाड़ से, कारखाने से, हाट से, बाजार से; निकल पड़े झाड़ियों, जंगलों, पहाड़ों, पर्वतों से । और जनता ने स्वामीजी की पुकार का उत्तर दिया; वह गर्व के साथ निकल पड़ी। गांधीजी को आजादी की लड़ाई में जो जन-समर्थन मिला, वह विवेकानंद के आह्वान का ही फल था। इस प्रकार, वे भारतीय स्वतंत्रता-संग्राम के भी एक प्रमुख प्रेरणास्त्रोत बने । प्रस्तुत पुस्तक 'युवको! उठो, जागो ' में स्वामीजी ने भारत सहित देश- विदेश में वेदांत, धर्म और भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार हेतु देश भर के युवकों का आह्वान किया है। उन्होंने भारतीय समाज में गहरे पैठी असमानता की भावना के प्रति लोगों को सचेत किया है | युवा शक्ति की पहचान कर उन्हें सही दिशा में प्रवृत्त कर राष्ट्र-निर्माण हेतु उघत करने की दृष्टि से स्वामी विवेकानंद के प्रेरक विचारों की संग्रहणीय पुस्तक ।

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