गीतांजलि (बंगला उच्चारण - गीतांजोलि) रबीन्द्रनाथ टैगोर की कविताओं का संग्रह है, जिनके लिए उन्हें सन् 1913 में विश्व प्रसिद्ध नोबेल पुरस्कार मिला था। 'गीताँजलि' शब्द गीत और अन्जलि को मिला कर बना है जिसका अर्थ है - गीतों का उपहार (भेंट) । यह बांग्ला में लिखी 103 कविताएँ हैं जिनका हिन्दी अनुवाद डा. डोमन साहु 'समीर' द्वारा किया गया है । प्रकृति, प्रेम, ईश्वर के प्रति निष्ठा, आस्था और मानवतावादी मूल्यों के प्रति समर्पण भाव से सम्पन्न 'गीतांजलि' के गीत पिछली एक सदी से बांग्लाभाषी जनों की आत्मा में बसे हुए हैं। विभिन्न भाषाओं में हुए इसके अनुवादों के माध्यम से विश्व-भर के सहृदय पाठक इसका रसास्वादन कर चुके हैं। इसके बाद अपने पूरे जीवनकाल में वे भारतीय साहित्याकाश पर छाए रहे। साहित्य की विभिन्न विधाओं, संगीत और चित्रकला में सतत सृजनरत रहते हुए उन्होंने अन्तिम साँस तक सरस्वती की साधना की और भारतवासियों के लिए 'गुरुदेव' के रूप में प्रतिष्ठित हुए।