Manu Sharma Ki Paanch Superhit Kahaniyan by Manu Sharma

Manu Sharma Ki Paanch Superhit Kahaniyan

By

  • Genre Short Stories
  • Publisher Prabhat Prakashan
  • Released
  • Size 916.86 kB
  • Length 224 Pages

Description

"मनु शर्मा की कहानियाँ हमारे दौर के समाज का आईना हैं। हमारे रोजमर्रा के जीवन का प्रतिबिंब हैं। इनमें कुछ भी बनावटी नहीं है। न जबरन किसी ‘वाद’ की तरफदारी, न बेवजह की झंडाबरदारी। मनु शर्मा की रुचि मनुष्य में रही है। किसी ‘वाद’ में नहीं। ‘वाद’ या ‘इज्म’ मनुष्य से बड़े नहीं होते। कबीर या रसखान का कौन सा वाद था? लोकहित के पाले में खड़ा हो लोकचेतना को व्यक्त करना ही इस रचनाकार का धर्म है। उनकी कहानियों में जीवन की समस्याएँ हैं। बदलता परिवेश है। आधुनिकता की दौड़ में घुटती मान्यताएँ हैं। ‘जो जहाँ है जैसा है’ की शक्ल में। लेकिन सबकुछ सहज भाषा में। मनु शर्मा के लेखन की सबसे बड़ी विशेषता जीवन और समाज पर उनकी पैनी दृष्टि है। यह दृष्टि जहाँ पड़ती है, चरित्र, परिस्थितियों और माहौल का एक हूबहू एक्स-रे सा खिंच जाता है। उनकी कहानियाँ जीवन के कटु यथार्थ की जमीन पर रोपी हुई हैं। इनमें न दुःखांत का आग्रह है, न सुखांत का दुराग्रह। कहानी खुद तय करती है कि उसकी शक्ल क्या होगी। इन कहानियों को पढ़ते हुए लगता है कि मानो पाठक एक यात्रा पर निकला हो और उसके अनुभव जीवन के तमाम द्वीपों से गुजरते हुए समाज और काल में फैल गए हों। पाठक इसका गवाह बनता है। इस वृत्तांत का सम्मोहन इतना कि पाठक को पहले शब्द से लेकर अंतिम विराम तक एक अजीब किस्म के चुंबकत्व का बोध होता है। यही मनु शर्मा की कहानियों का यथार्थ है। उन्हें आलोचक भले न मिले हों, पर पाठक भरपूर मिले। आलोचना के क्षेत्र में पराजित एक लेखक की ये अपराजित कहानियाँ हैं।"

More Manu Sharma Books