नगरीय क्षेत्र में जनसंख्या वितरण प्रतिरूप के सम्यक अध्ययन के पश्चात् ही उसकी सुनियोजित ढंग से बसाने की परिकल्पना की जा सकती है। अतः किसी क्षेत्र विशेष के विविध आकार-प्रकार एवं विशेषता वाले नगरों में जनसंख्या वितरण प्रतिरूप का आंकलन करना तथा प्रभावित करने वाले कारकों को आलोकित करना आवश्यक हो जाता है। नगर नियोजन के इसी पक्ष को स्पष्ट करने के लिये ऊपरी गंगा मैदान के 1981 के नगरों के संदर्भ में यह अध्ययन प्रस्तुत है। प्रारम्भ में नगरीय जनसंख्या घनत्व प्रवणता की संकल्पनात्मक पृष्ठभूमि की समीक्षा प्रस्तुत कर ऊपरी गंगा मैदान के नगरीकरण की विशेषाताओं एवं जनसंख्या वितरण प्रतिरूप का विस्तृत विवेचन किया गया है। तदन्तर अगले तीन अध्यायों में विभिन्न आकार के चयनित नगरों में प्रवणता प्रतिरूप का उपलब्ध मॉडलों (क्लार्क एवं ब्रश) के सन्दर्भ में निर्धारण किया गया है। प्रथम समूह के लखनऊ तथा इलाहाबाद जैसे सेवा प्रधान महानगरों में प्रवणता दर में हास दृष्टिगत होता है, जबकि द्वितीय समूह के परम्परागत अर्थव्यवस्था वाले बरेली तथा अलीगढ़ नगरों में प्रवणता दर तीव्र है। समूह तीन के औद्योगीकृत नवीन नगर गाजियाबाद में प्रवणता दर अनियमित क्रम में ही पायी जा रही है। अन्त में लखनऊ महानगर के निकट 523 प्रतिदर्श परिवार पर आधारित आवासीय परिवर्तन एवं घनत्व प्रवणता प्रतिरूप का अन्तर्सम्बन्ध स्थापित करते हुए भावी जनसंख्या वितरण का एक मॉडल प्रस्तुत किया गया है, जिसके क्रियान्वयन से नगर निवासियों के जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि होने की आशा की जाती है। भारतीय नगरों के सन्दर्भ में अभी ऐसे कार्यों का पूर्ण अभाव रहा है अतः नगरीय भूगोल के क्षेत्र में यह अध्ययन महत्वपूर्ण एवं नवीन योगदान है। स्पष्टतः नगर अध्ययन से सम्बन्धित छात्रों, शोधकर्ताओं एवं नगर नियोजन संस्थानों के लिए यह पुस्तक विशेष उपयोगी हो सकती है।